ज़िन्दगी के हसीन पलों में
साथ थे मेरे कितने अपने
दोस्तों की हंसी से खिल उठी
मेरे जीवन के हर पल मीठी
आज तन्हाई की चादर ओढ़े
खडी हूँ मैं उन मीठे यादों को समेटे
बेचेनियाँ दिल की मैंने छुपायी
एक मुस्कान में, जो थी थकी हुई
दिल की आवाज़ किसी ने न सुनी
थी सूनसान वह पुराने रस्ते भी
काँटों भरी पगडंडीयों ने पेरों को नहीं
मेरे टूटे दिल को हैं घायल कर दि
आँसू भरी आँखों में क्यों दिखाई दिए
फिर वही चेहरा, जो मैंने भुला दिए
दिल की पनाहों में छुपायी यादें
बिन बुलाये दस्तक देते आगए ||
मन को संभलते संभलते थक गयी
कोई सहारा मिले यही आस लगायी
आज भी बैठी हूँ अपने चौखट पर
उम्मीद लगाए कि तुम आए इस पार||
1 comment:
Nisha..ji
Kya khoob likha hein aapne...💞👍👏👏
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