
दिल में अजब सी एक बेकरारी जगी,
बीते दिनों की यादें हमें सताने लगी...
न जाने क्यों और कैसे, लेकिन
अचानक यादों की झोली खुल गयी;
रंग-बिरंगी यादों की मोती जब
झूम झूम के बाहर निकल आई;
तो कुछ खुशियों की लहरें लायी,
और कुछ लाये ग़मों की परछाई।
बचपन के दिन जब याद आये
तो मन ही मन में हम मुस्कुराए!
गरजते बादल के आहट से काँपे
तो कभी बरसते पानी में भीगे...
प्यार और मिलन के यादों ने
हमें बेहद हँसाए, तो वियोग
और नफरत के यादों ने पल
भर में ही दिल को तोड़ दिए!!!
यादें मीठी भी हैं और कड़वी भी,
हंसाते हैं यह हमें, कभी रुलाते भी;
यादों के बिना जी पाना लेकिन
क्या सीखा हैं किसी ने कभी???
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ReplyDeleteThanks for visiting..
Deletevery beautifully written:)will come back fr more::)
ReplyDeleteThank you Alka! I am glad you liked it.
DeleteYaadein...Bahut sundar...:)
ReplyDeleteThank you Saru! You inspire and motivate me...
Deleteयादों के बिना जी पाना,क्या सीखा हैं किसी ने!सुंदर शब्द संग्रह
ReplyDeleteराहुल जी, धन्यवाद !
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