Tuesday, January 3, 2012

लौट आओ!!

ज़िन्दगी के राहों में हमें अकेला छोड़
कहाँ बिछड गए तुम प्यारे?
न कोई खबर , न ही हैं संदेसा
कोई तुम ने भेजा हमें...
ऐसे क्यों रूठ गए तुम हमसे
की आवाज़ तक न दी एक बार???

हर दिन उम्मीदों के सहारे हम जीते हैं
कि - आज तुम आवोगे; 
हर आहट पर मन यह सोचते हैं
कि- यह तुम हो जो आ गए!
दिल को छूटी तसल्ली हम देतें हैं
आज नहीं तो सही कल आवोगे!

हमारे दिल कि तड़प सुन भी नहीं पाते
इतने दूर क्यों तुम चले?
हमारा प्यार तुम्हे खीच लावोगे फिर
एक दिन हमारे पास
बस यही एक उम्मीद पे तो सालों से
हमारी दुनिया कायम हैं ...

जहां भी गए हो, लौट आवो फिर से
एक बार हमारे पास
तेरे इंतज़ार में दिन रात एक करके
बैठे हैं परिजन तुम्हारे
फिर से हम साथ साथ होंगे, तो ही
यह दुनिया चमकेंगे!!!

PS: The report on the Missing of Soni M Bhattathiripad inspired me to pen these lines... I do hope that he comes back to his near and dear ones soon. It has been three years since he went missing.  http://voiceofavillagegirl.blogspot.com/2011/05/where-is-soni-m-bhattathiripad.html

4 comments:

Saru Singhal said...

It is written with such pain that each word is crying out loud. Beautiful expression. I hope he comes back for those who miss him each and every day of their lives.

Truly touching work!

Nisha said...

Thanks Saru! We all do hope that he comes back. I wrote this after listening to his family members on a program.

Rakesh Kumar said...

आपकी प्रस्तुति भावपूर्ण मार्मिक और हृदयस्पर्शी है.
ईश्वर सच्ची कामना पूरी करते हैं.

मेरे ब्लॉग पर आप आयीं और आपने सुन्दर सुवचन भी
प्रस्तुत किये,इसके लिए मैं आपका दिल से आभारी हूँ.

नववर्ष की आपको बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ.

मेरे ब्लॉग पर फिर से आईयेगा,निशा जी.
आशा है आपको मेरी पोस्ट 'हनुमान लीला भाग-२'
भी पसंद आएगी.

Nisha said...

राकेशजी,
बहुत बहुत शुक्रिया! यही उम्मीद हैं कि वो जल्दी वापस आये और परिजनों के दुःख मिटाए!

आपको भीनव वर्ष कि हार्दिक शुभ कामनाएँ!!!

आप के ब्लॉग मैं ज़रूर पढूंगी!

धन्यवाद!

Of Little Trips and Great Learnings

The other day, we (some staff, volunteers and service users of Mary Seacole House, Liverpool) went on a day trip to Llangollen. This wasn&#...