यह सफ़र सुहाना अगर ख़तम न होते
कितना अच्छा होता ऐसे ही चले जाना!
हमराह अगर कोई न होते तो भी
ज़िन्दगी के ये चंद पल मीठी हैं,
जगह -जगह से गुज़र कर
यह सफ़र हमें सुखद ही लगे!
नीले गगन में डोलती बादल..
पुल के नीचे झमझमाती नदियाँ...
ठंडी हवा के छूने ने से दिल नाच उठी
कितना प्यारा लगे यह सफ़र हमें !
अनजाने लोगों से मिलना,
अनजानी राहों से गुज़ारना,
चारों तरफ हरियाली का नज़ारा...
ख़ुशी से झूम उडता हैं मन ये मेरा!
जी चाहता हैं ऐसे ही चलती रहूँ
बिना किसी और ख़याल के
अगर यह सफ़र ख़तम न होते -
सोचने लगा मेरा दीवानापन!
पर यह सफ़र भी ख़तम होगी
बस दो चार पल की बात हैं...
2 comments:
lovely poem :)bas do char pal ki baat hai
hope u'll like my post
Hair Hair Hair
Thank you geets! I liked your post.
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